बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
कर्मवीर एवं जन्मभूमि
व्याख्या भाग
कर्मवीर
(1)
देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं।
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।
हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले।
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले। 1।
शब्दार्थ - बाधा = रुकावट। विघ्न = संकट, समस्या। भाग = भाग्य। उकताते बोर नहीं होते। आन = मर्यादा। काल = समय।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित 'कर्मवीर' कविता से उद्धृत है।
यहाँ कवि ने कर्म की विशेषता के विषय में बताया है कि जो मानव कर्म पर विश्वास करता है, वह प्रत्येक वस्तु को प्राप्त कर सकता है।
व्याख्या - कवि कहता है कि जो मनुष्य स्वयं पर भरोसा रखते हैं और कर्मवीर होते हैं अर्थात् कर्म करने में विश्वास रखते हैं, उनके सामने कितनी ही बाधाएँ या संकट आ जाएँ, तब भी घबराते नहीं हैं। चाह कितना भी कठिन कार्य करना हो लेकिन वे उससे ऊबते नहीं, वरन् डटकर उसका सामना करते हैं। इस प्रकार वे अपने ऊपर आए संकटों को दूर कर बुरे समय को भी अच्छा बनाने में सफल हो जाते हैं। अपनी कर्म वीरता के कारण ही वे प्रत्येक समय फूलते-फलते रहते हैं।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. यहाँ कवि ने कर्म के महत्त्व को समझाया है।
2. भाग्य के भरोसे रहने वाले लोग सदैव दुःखी और कर्म पर भरोसा करने वाले लोग संकटों में भी प्रसन्न रहते हैं।
3. भाषा - खड़ी बोली।
3. शब्दशक्ति - अभिधा, लक्षणा।
4. गुण - ओज।
5. रस - वीर।
6. अलंकार - अनुप्रास, उदाहरण।
(2)
जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं।
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं।
आजकल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं।
यत्न करने में कभी जो जी चुराते हैं नहीं।
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए।
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए। 3।
शब्दार्थ - यों बिताते = व्यर्थ गँवाना। आजकल करना = टाल-मटोल करना। जी चुराना = काम से हटना। नमूना = उदाहरण।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - कवि हरिऔध जी ने यहाँ उन कर्मवीरों के विषय में बताया है, जो अपने कार्यों से सबके लिए अनुकरणीय बनते हैं।
व्याख्या - कवि कहता है कि जो कर्मवीर हैं वे अपना समय व्यर्थ में बर्बाद नहीं करते हैं, वे काम करने के बजाय बात बनाने में विश्वास नहीं करते हैं, वे आज का काम कल पर टालकर पूरा दिन व्यर्थ नहीं गँवाते हैं, वे कर्म करने में कभी भी जी नहीं चुराते हैं। अपने इन्हीं गुणों के कारण कर्मवीर सबके लिए उदाहरण बन जाते हैं।
काव्यगत सौन्दर्य-
1. यहाँ कवि ने कर्मवीर व्यक्तियों का महत्त्व बताया है।
2. भाषा - मुहावेदार खड़ी बोली।
3. शब्दशक्ति - अभिधा।
4. गुण - ओज।
5. रस - वीर।
6. अलंकार - अनुप्रास, उल्लेख।
चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना।
काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना।
जो कि हँस हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना।
'है कठिन कुछ भी नहीं" जिनके है जी में यह ठना।
कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं।
कौन सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं।॥5 ॥
शब्दार्थ - ठना = निश्चय कर लेना। कोस = दूरी लगभग तीन किमी। गाँठ = कठिन कार्य। सन्दर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कविवर हरिऔध जी ने बताया है कि कर्मवीर कठिन कार्यों को भी सरल बना लेते हैं।
व्याख्या - कवि कहता है कि कर्मवीर चिलचिलाती धूप को भी चाँदनी बना देने की क्षमता रखते हैं अर्थात् कठिन कार्यों को भी सरल बना लेते हैं। जो अपना काम पड़ने पर शेर से भी मुकाबला करने में नहीं हिचकते, जो लोहे के चनों को भी हँस-हँसकर चबा लेते हैं अर्थात् असम्भव कार्यों को भी सम्भव बना लेने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने मन में यह वाक्य निश्चित कर रखा है कि संसार में कुछ भी कठिन नहीं है। अत: उन्हें चाहे कितनी भी दूर चलना पड़े वे थककर हिम्मत नहीं हारते हैं। ऐसा कौन- सा कठिन कार्य है जिसे वे पूरा नहीं कर सकते अर्थात् वे सब कठिन कार्यों को सरल बना लेते हैं।
काव्यगत - सौन्दर्य -
1. यहाँ कवि ने कर्मवीरों की विशेषताओं का उल्लेख किया है।
2. भाषा - मुहावरेदार खड़ी बोली।
3. गुण - ओज।
4. रस - वीर।
5. अलंकार- अनुप्रास, उपमा।
काम को आरंभ करके यों नहीं जो छोड़ते।
सामना करके नहीं जो भूल कर मुँह मोड़ते।
जो गगन के फूल बातों से वृथा नहिं तोड़ते।
संपदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते।
बन गया हीरा उन्हीं के हाथ से है कार बन।
काँच को करके दिखा देते हैं वे उज्ज्वल रतन ॥7॥
शब्दार्थ - मुँह मोड़ते = काम बीच में न छोड़ना। गगन = आकाश। वृथा = व्यर्थ में। संपदा = धन-दौलत।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर हरिऔध जी ने कर्मवीरों की कार्य शैली का वर्णन किया है।
व्याख्या - कवि कहता है कि वे ही व्यक्ति कर्मवीर होते हैं जो किसी कार्य को आरम्भ करके उसे बीच में नहीं छोड़ते हैं, बल्कि साहसपूर्वक सभी कठिनाइयों का सामना करते हैं, उनसे मुँह नहीं मोड़ते, वरन् पूरा करने का प्रयास करते हैं। जो व्यर्थ में आकाश से फूल तोड़ने की बात न करके, बल्कि सार्थक कार्यों को पूरा करते हैं। जो परिश्रम से धन-दौलत गलत या सरल साधनों द्वारा उसे प्राप्त करने के स्वप्न नहीं देखते। एक मामूली कोयले का टुकड़ा उनके साहस और परिश्रम से हीरा बन सकता है। वही कर्मवीर होते हैं, जो काँच को भी चमकदार रत्न में परिवर्तित कर देने का साहस रखते हैं। भाव यह है कि कर्मवीर मनुष्य अपने कार्यों से समाज को नवीन दिशा प्रदान करते हैं।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. कार्य निष्ठा से बुरे को भी अच्छा बनाया जा सकता है।
2. उद्देश्य सही हो तो सब कुछ बदल सकता है।
3. भाषा - मुहावरेदार खड़ी बोली।
4. शब्दशक्ति - लक्षणा।
5. गुण - ओज।
6. रस - वीर।
7. अलंकार - अनुप्रास, विभावना।
कार्य स्थल को वे कभी नहीं पूछते 'वह है कहाँ'।
कर दिखाते हैं असम्भव को वही संभव यहाँ।
उलझनें आकर उन्हें पड़ती हैं जितनी ही जहाँ।
वे दिखाते हैं नया उत्साह उतना ही वहाँ।
डाल देते हैं विरोधी सैकड़ों ही अड़चनें।
वे जगह से काम अपना ठीक करके ही टलें। 9।
शब्दार्थ - उलझनें = कठिनाइयाँ उत्साह = जोश। अड़चनें बाधाएँ। टले = हटते हैं।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर हरिऔध जी ने बताया है कि कर्मवीर मनुष्य प्रत्येक स्थान और परिस्थिति में कार्य करने के लिए तत्पर रहते हैं।
व्याख्या - कवि कहता है कि कर्मवीर मनुष्य कभी यह नहीं पूछते कि उन्हें कहाँ काम करना है? वे तो अपने संघर्षों से उस कार्य को सम्भव बनाते हैं जो उन्हें सौंपा गया है। उनके मार्ग में जितनी अधिक कठिनाइयाँ आती हैं, वे उतने अधिक उत्साह के साथ उनका सामना करने के लिए तत्पर रहते हैं। उनके विरोधी उनके मार्ग में चाहे कितनी भी बाधाएँ उत्पन्न करने का प्रयास क्यों न करें, वे अपना काम करके ही वहाँ से हटते हैं।
काव्यगत सौन्दर्य-
1. यहाँ कवि ने कर्मवीर मनुष्यों के अदम्य साहस का परिचय दिया है।
2. भाषा - मुहावरेदार खड़ी बोली।
3. शब्दशक्ति - लक्षणा।
4. गुण - ओज।
5. रस - वीर।
6. अलंकार - अनुप्रास।
सब तरह से आज जितने देश हैं फूले फले।
बुद्धि, विद्या, धान, विभव के हैं जहाँ डेरे डले।
वे बनाने से उन्हीं के बन गये इतने भले।
वे सभी हैं हाथ से ऐसे सपूतों के पले।
लोग जब ऐसे समय पाकर जनम लेंगे कभी।
देश की औ जाति की होगी भलाई भी तभी। 11।
शब्दार्थ - विभव = दौलत। डेरे डले = सम्पन्न बनी।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि हरिऔध जी ने बताया है कि जब जब ऐसे कर्मवीर जन्म लेंगे देश - जाति की सदैव भलाई होगी।
व्याख्या - कवि कहता है कि आज संसार में जितने भी देश बुद्धि, विद्या, धन, दौलत से सम्पन्न हैं, उसके पीछे वहाँ के कर्मवीरों के त्याग, तपस्या, परिश्रम और निष्ठा का ही परिणाम है। उन्होंने अपने देश के विकास के लिए सच्चे दिल से श्रम किया। कवि का मानना है किसी भी देश की समृद्धि वहाँ के कर्मवीर पुरुषों पर निर्भर करती है, वे निस्स्वार्थ भाव से देश की सेवा करते हैं। कवि के अनुसार देश और जाति की भलाई तब ही हो सकती है जब ऐसे कर्मवीर शरीर धारण करके धरती पर जन्म लेंगे।
काव्यगत सौन्दर्य-
1. किसी भी देश की समृद्धि सच्चे कर्मवीरों की त्याग, तपस्या और संघर्ष की नींव पर खड़ी होती है।
2. भाषा - मुहावरेदार खड़ी बोली।
3. गुण - ओज।
4. रस - वीर।।
5. अलंकार - अनुप्रास।
6. शब्दशक्ति - लक्षणा।
2. जन्मभूमि
सुरसरि सी सरि है कहाँ मेरु सुमेर समान।
जन्मभूमि सी भू नहीं भूमण्डल में आन।
प्रतिदिन पूजें भाव से चढ़ा भक्ति के फूल।
नहीं जन्म भर हम सके जन्मभूमि को भूल।
शब्दार्थ - सुरसरि देवगंगा। मेरु पर्वत। भूमण्डल समस्त पृथ्वी पर आन मर्यादा, सम्मान।
सन्दर्भ - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ राष्ट्रीय चेतना की कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित 'जन्मभूमि' कविता से उद्धृत हैं।
प्रसंग - यहाँ कवि ने जन्मभूमि को संसार में श्रेष्ठ बताते हुए उसकी वन्दना की है।
व्याख्या - कवि कहता है मेरी जन्मभूमि देवगंगा के समान नदी के समान पवित्र, पर्वतों के राजा सुमेरु पर्वत जैसी विशाल है। मेरी जन्म भूमि जैसी सम्मानित भूमि इस समस्त पृथ्वी पर कहीं नहीं है।
अतः हमें प्रतिदिन भक्तिभाव से पुष्प अर्पित कर अपनी जन्मभूमि की वन्दना करनी चाहिए तथा हमें चाहिए कि हम जीवन भर अपनी जन्मभूमि को याद रखें।
काव्यगत सौन्दर्य-
1. यहाँ कवि ने जन्मभूमि को सर्वश्रेष्ठ बताया है और कभी न भूलने सन्देश दिया है।
2. भाषा - खड़ी बोली।
3. गुण - प्रसाद।
4. शब्दशक्ति - अभिधा।
5. रस - भक्ति एवं वीर।
6. अलंकार- अनुप्रास, उपमा।
कौन नहीं है पूजता कर गौरव गुण गान।
जननी जननी जनक की जन्मभूमि को जान।
उपजाती है फूल फल जन्मभूमि की खेह।
सुख संचन रत छवि में सदन ये कंचन सी देह।
शब्दार्थ - जननी = माता। जनक = पिता। उपजाती = पैदा करती है। खेह = राख, मिट्टी। कंचन = सोना।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।
व्याख्या - कवि कहता है कि इस पृथ्वी पर ऐसा कोई नहीं है, जो अपनी जन्मभूमि का यशोगान करके उसे पूजता न हो। हमें मातृभूमि को माता-पिता के समान ही मानकर सम्मान देना चाहिए।
कवि कहता है कि हमारी जन्मभूमि की मिट्टी हमारे पोषण हेतु नाना प्रकार के फल-फूल उत्पन्न करती है। जन्मभूमि के कारण ही हम सुखों का संचय करते हैं, सुन्दर सदन बनाते हैं और यह सोने के समान देह भी हम जन्मभूमि के कारण ही प्राप्त करते हैं।
काव्यगत सौन्दर्य-
1. हमें अपनी मातृभूमि की वन्दना करनी चाहिए।
2. यहाँ कवि ने जन्मभूमि की मिट्टी के साथ अपने सम्बन्ध का मनोहारी चित्रण किया है।
3. भाषा - साहित्यिक खड़ी बोली।
4. गुण - ओज।
5. रस - वीर।
6. अलंकार - अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, उपमा।
फलद कल्पतरू - तुल्य हैं सारे विटप बबूल।
हरि-पद-रज सी पूत है जन्म धरा की धूल।
जन्मभूमि में हैं सकल सुख सुषमा समवेत।
अनुपम रत्न समेत हैं मानव रत्न निकेत।
शब्दार्थ - कल्पतरू - तुल्य = कल्पवृक्ष के समान। विटप = वृक्ष। पूत पवित्र। सुषमा = सौन्दर्य। निकेत = घर, भण्डार।
सन्दर्भ एवं प्रसंग – पूर्ववत्।
व्याख्या - कवि कहता है कि जन्मभूमि फल प्रदान करने में कल्पवृक्ष के समान है, जबकि अन्य वृक्ष बबूल के समान हैं। मेरी जन्मभूमि की धूल ईश्वर के चरणों की रज के समान पवित्र है।
कवि कहता है कि जन्मभूमि में सारे सुख, सम्पदा, सौन्दर्य समाहित है। और सबसे श्रेष्ठ तो मानव रत्न है जो इस धरती पर सर्वश्रेष्ठ है।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. कवि ने जन्मभूमि की तुलना ईश्वर के चरणों की धूल से की है।
2. पृथ्वी पर सकल सुख समाहित हैं।
3. भाषा - खड़ी बोली।
4. गुण - ओज।
5. अलंकार - अनुप्रास, उपमा।
6. छन्द - दोहा।
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- अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
- प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
- प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
- प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
- अध्याय - 4 भूषण
- प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
- प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
- अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
- प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
- अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
- अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
- प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
- अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
- प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
- प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
- प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
- प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
- प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
- प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
- प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
- प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
- प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
- अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
- प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
- प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
- प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
- प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
- प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 21 कवि प्रदीप
- प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
- प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
- प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
- अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
- अध्याय - 23 प्रेम धवन
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
- अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
- प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
- प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
- अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
- प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
- अध्याय - 26 गुलशन बावरा
- प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
- अध्याय - 27 इन्दीवर
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
- अध्याय - 28 प्रसून जोशी
- प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?